Ezekiel (यहेजकेल) >> The Concluding Lamentation
1 और इस्राएल के प्रधानों के विषय तू यह विलापगीत सुना,
1 Moreover take thou up a lamentation for the princes of Israel,
2 तेरी माता एक कैसी सिंहनी थी! वह सिंहों के बीच बैठा करती और अपने बच्चों को जवान सिंहों के बीच पालती पोसती थी।
2 And say, What is thy mother? A lioness: she lay down among lions, she nourished her whelps among young lions.
3 अपने बच्चों में से उसने एक को पाला और वह जवान सिंह हो गया, और अहेर पकड़ना सीख गया; उसने मनुष्यों को भी फाड़ खाया।
3 And she brought up one of her whelps: it became a young lion, and it learned to catch the prey; it devoured men.
4 और जाति जाति के लोगों ने उसकी चर्चा सुनी, और उसे अपने खोदे हुए गड़हे में फंसाया; और उसके नकेल डाल कर उसे मिस्र देश में ले गए।
4 The nations also heard of him; he was taken in their pit, and they brought him with chains unto the land of Egypt.
5 जब उसकी मां ने देखा कि वह धीरज धरे रही तौभी उसकी आशा टूट गई, तब अपने एक और बच्चे को ले कर उसे जवान सिंह कर दिया।
5 Now when she saw that she had waited, and her hope was lost, then she took another of her whelps, and made him a young lion.
6 तब वह जवान सिंह हो कर सिंहों के बीच चलने फिरने लगा, और वह भी अहेर पकड़ना सीख गया; और मनुष्यों को भी फाड़ खाया।
6 And he went up and down among the lions, he became a young lion, and learned to catch the prey, and devoured men.
7 और उसने उनके भवनों को बिगाड़ा, और उनके नगरों को उजाड़ा वरन उसके गरजने के डर के मारे देश और जो कुछ उस में था सब उजड़ गया।
7 And he knew their desolate palaces, and he laid waste their cities; and the land was desolate, and the fulness thereof, by the noise of his roaring.
8 तब चारों ओर के जाति जाति के लोग अपने अपने प्रान्त से उसके विरुद्ध निकल आए, और उसके लिये जाल लगाया; और वह उनके खोदे हुए गड़हे में फंस गया।
8 Then the nations set against him on every side from the provinces, and spread their net over him: he was taken in their pit.
9 तब वे उसके नकेल डाल कर और कठघरे में बन्द कर के बाबुल के राजा के पास ले गए, और गढ़ में बन्द किया, कि उसका बोल इस्राएल के पहाड़ी देश में फिर सुनाई न दे।
9 And they put him in ward in chains, and brought him to the king of Babylon: they brought him into holds, that his voice should no more be heard upon the mountains of Israel.
10 तेरी माता जिस से तू अत्पन्न हुआ, वह तीर पर लगी हुई दाखलता के समान थी, और गहिरे जल के कारण फलों और शाखाओं से भरी हुई थी।
10 Thy mother is like a vine in thy blood, planted by the waters: she was fruitful and full of branches by reason of many waters.
11 और प्रभुता करने वालों के राजदणडों के लिये उस में मोटी मोटी टहनियां थीं; और उसकी ऊंचाई इतनी इुई कि वह बादलों के बीच तक पहुंची; और अपनी बहुत सी डालियों समेत बहुत ही लम्बी दिखाई पड़ी।
11 And she had strong rods for the sceptres of them that bare rule, and her stature was exalted among the thick branches, and she appeared in her height with the multitude of her branches.
12 तौभी वह जलजलाहट के साथ उखाड़ कर भूमि पर गिराई गई, और उसके फल पुरवाई हवा के लगने से सूख गए; और उसकी मोटी टहनियां टूट कर सूख गईं; और वे आग से भस्म हो गई।
12 But she was plucked up in fury, she was cast down to the ground, and the east wind dried up her fruit: her strong rods were broken and withered; the fire consumed them.
13 अब वह जंगल में, वरन निर्जल देश में लगाई गई है।
13 And now she is planted in the wilderness, in a dry and thirsty ground.
14 और उसकी शाखाओं की टहनियों में से आग निकली, जिस से उसके फल भस्म हो गए, और प्रभुता करने के योग्य राजदण्ड के लिये उस में अब कोई मोटी टहनी न रही। यही विलापगीत है, और यह विलापगीत बना रहेगा।
14 And fire is gone out of a rod of her branches, which hath devoured her fruit, so that she hath no strong rod to be a sceptre to rule. This is a lamentation, and shall be for a lamentation.