Matthew (मत्ती) >> The Predictions of the King (Mt. Olivet Discourse) Part 2
1 तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुंवारियों के समान होगा जो अपनी मशालें लेकर दूल्हे से भेंट करने को निकलीं।
1 Then shall the kingdom of heaven be likened unto ten virgins, which took their lamps, and went forth to meet the bridegroom.
2 उन में पांच मूर्ख और पांच समझदार थीं।
2 And five of them were wise, and five were foolish.
3 मूर्खों ने अपनी मशालें तो लीं, परन्तु अपने साथ तेल नहीं लिया।
3 They that were foolish took their lamps, and took no oil with them:
4 परन्तु समझदारों ने अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्पियों में तेल भी भर लिया।
4 But the wise took oil in their vessels with their lamps.
5 जब दुल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊंघने लगीं, और सो गई।
5 While the bridegroom tarried, they all slumbered and slept.
6 आधी रात को धूम मची, कि देखो, दूल्हा आ रहा है, उस से भेंट करने के लिये चलो।
6 And at midnight there was a cry made, Behold, the bridegroom cometh; go ye out to meet him.
7 तब वे सब कुंवारियां उठकर अपनी मशालें ठीक करने लगीं।
7 Then all those virgins arose, and trimmed their lamps.
8 और मूर्खों ने समझदारों से कहा, अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझी जाती हैं।
8 And the foolish said unto the wise, Give us of your oil; for our lamps are gone out.
9 परन्तु समझदारों ने उत्तर दिया कि कदाचित हमारे और तुम्हारे लिये पूरा न हो; भला तो यह है, कि तुम बेचने वालों के पास जाकर अपने लिये मोल ले लो।
9 But the wise answered, saying, Not so; lest there be not enough for us and you: but go ye rather to them that sell, and buy for yourselves.
10 जब वे मोल लेने को जा रही थीं, तो दूल्हा आ पहुंचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ ब्याह के घर में चलीं गई और द्वार बन्द किया गया।
10 And while they went to buy, the bridegroom came; and they that were ready went in with him to the marriage: and the door was shut.
11 इसके बाद वे दूसरी कुंवारियां भी आकर कहने लगीं, हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे।
11 Afterward came also the other virgins, saying, Lord, Lord, open to us.
12 उस ने उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूं, मैं तुम्हें नहीं जानता।
12 But he answered and said, Verily I say unto you, I know you not.
13 इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को॥
13 Watch therefore, for ye know neither the day nor the hour wherein the Son of man cometh.
14 क्योंकि यह उस मनुष्य की सी दशा है जिस ने परदेश को जाते समय अपने दासों को बुलाकर, अपनी संपत्ति उन को सौंप दी।
14 For the kingdom of heaven is as a man travelling into a far country, who called his own servants, and delivered unto them his goods.
15 उस ने एक को पांच तोड़, दूसरे को दो, और तीसरे को एक; अर्थात हर एक को उस की सामर्थ के अनुसार दिया, और तब पर देश चला गया।
15 And unto one he gave five talents, to another two, and to another one; to every man according to his several ability; and straightway took his journey.
16 तब जिस को पांच तोड़े मिले थे, उस ने तुरन्त जाकर उन से लेन देन किया, और पांच तोड़े और कमाए।
16 Then he that had received the five talents went and traded with the same, and made them other five talents.
17 इसी रीति से जिस को दो मिले थे, उस ने भी दो और कमाए।
17 And likewise he that had received two, he also gained other two.
18 परन्तु जिस को एक मिला था, उस ने जाकर मिट्टी खोदी, और अपने स्वामी के रुपये छिपा दिए।
18 But he that had received one went and digged in the earth, and hid his lord's money.
19 बहुत दिनों के बाद उन दासों का स्वामी आकर उन से लेखा लेने लगा।
19 After a long time the lord of those servants cometh, and reckoneth with them.
20 जिस को पांच तोड़े मिले थे, उस ने पांच तोड़े और लाकर कहा; हे स्वामी, तू ने मुझे पांच तोड़े सौंपे थे, देख मैं ने पांच तोड़े और कमाए हैं।
20 And so he that had received five talents came and brought other five talents, saying, Lord, thou deliveredst unto me five talents: behold, I have gained beside them five talents more.
21 उसके स्वामी ने उससे कहा, धन्य हे अच्छे और विश्वासयोग्य दास, तू थोड़े में विश्वासयोग्य रहा; मैं तुझे बहुत वस्तुओं का अधिकारी बनाऊंगा अपने स्वामी के आनन्द में सम्भागी हो।
21 His lord said unto him, Well done, thou good and faithful servant: thou hast been faithful over a few things, I will make thee ruler over many things: enter thou into the joy of thy lord.
22 और जिस को दो तोड़े मिले थे, उस ने भी आकर कहा; हे स्वामी तू ने मुझे दो तोड़े सौंपें थे, देख, मैं ने दो तोड़े और कमाएं।
22 He also that had received two talents came and said, Lord, thou deliveredst unto me two talents: behold, I have gained two other talents beside them.
23 उसके स्वामी ने उस से कहा, धन्य हे अच्छे और विश्वासयोग्य दास, तू थोड़े में विश्वासयोग्य रहा, मैं तुझे बहुत वस्तुओं का अधिकारी बनाऊंगा अपने स्वामी के आनन्द में सम्भागी हो।
23 His lord said unto him, Well done, good and faithful servant; thou hast been faithful over a few things, I will make thee ruler over many things: enter thou into the joy of thy lord.
24 तब जिस को एक तोड़ा मिला था, उस ने आकर कहा; हे स्वामी, मैं तुझे जानता था, कि तू कठोर मनुष्य है, और जहां नहीं छीटता वहां से बटोरता है।
24 Then he which had received the one talent came and said, Lord, I knew thee that thou art an hard man, reaping where thou hast not sown, and gathering where thou hast not strawed:
25 सो मैं डर गया और जाकर तेरा तोड़ा मिट्टी में छिपा दिया; देख, जो तेरा है, वह यह है।
25 And I was afraid, and went and hid thy talent in the earth: lo, there thou hast that is thine.
26 उसके स्वामी ने उसे उत्तर दिया, कि हे दुष्ट और आलसी दास; जब यह तू जानता था, कि जहां मैं ने नहीं बोया वहां से काटता हूं; और जहां मैं ने नहीं छीटा वहां से बटोरता हूं।
26 His lord answered and said unto him, Thou wicked and slothful servant, thou knewest that I reap where I sowed not, and gather where I have not strawed:
27 तो तुझे चाहिए था, कि मेरा रुपया सर्राफों को दे देता, तब मैं आकर अपना धन ब्याज समेत ले लेता।
27 Thou oughtest therefore to have put my money to the exchangers, and then at my coming I should have received mine own with usury.
28 इसलिये वह तोड़ा उस से ले लो, और जिस के पास दस तोड़े हैं, उस को दे दो।
28 Take therefore the talent from him, and give it unto him which hath ten talents.v
29 क्योंकि जिस किसी के पास है, उसे और दिया जाएगा; और उसके पास बहुत हो जाएगा: परन्तु जिस के पास नहीं है, उस से वह भी जो उसके पास है, ले लिया जाएगा।
29 For unto every one that hath shall be given, and he shall have abundance: but from him that hath not shall be taken away even that which he hath.
30 और इस निकम्मे दास को बाहर के अन्धेरे में डाल दो, जहां रोना और दांत पीसना होगा।
30 And cast ye the unprofitable servant into outer darkness: there shall be weeping and gnashing of teeth.
31 जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्ग दूत उसके साथ आएंगे तो वह अपनी महिमा के सिहांसन पर विराजमान होगा।
31 When the Son of man shall come in his glory, and all the holy angels with him, then shall he sit upon the throne of his glory:
32 और सब जातियां उसके साम्हने इकट्ठी की जाएंगी; और जैसा चरवाहा भेड़ों को बकिरयों से अलग कर देता है, वैसा ही वह उन्हें एक दूसरे से अलग करेगा।
32 And before him shall be gathered all nations: and he shall separate them one from another, as a shepherd divideth his sheep from the goats:
33 और वह भेड़ों को अपनी दाहिनी ओर और बकिरयों को बाई और खड़ी करेगा।
33 And he shall set the sheep on his right hand, but the goats on the left.
34 तब राजा अपनी दाहिनी ओर वालों से कहेगा, हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है।
34 Then shall the King say unto them on his right hand, Come, ye blessed of my Father, inherit the kingdom prepared for you from the foundation of the world:
35 क्योंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को दिया; मैं प्यासा था, और तुम ने मुझे पानी पिलाया, मैं पर देशी था, तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया।
35 For I was an hungred, and ye gave me meat: I was thirsty, and ye gave me drink: I was a stranger, and ye took me in:
36 मैं नंगा था, तुम ने मुझे कपड़े पहिनाए; मैं बीमार था, तुम ने मेरी सुधि ली, मैं बन्दीगृह में था, तुम मुझ से मिलने आए।
36 Naked, and ye clothed me: I was sick, and ye visited me: I was in prison, and ye came unto me.
37 तब धर्मी उस को उत्तर देंगे कि हे प्रभु, हम ने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया? या प्यासा देखा, और पिलाया?
37 Then shall the righteous answer him, saying, Lord, when saw we thee an hungred, and fed thee? or thirsty, and gave thee drink?
38 हम ने कब तुझे पर देशी देखा और अपने घर में ठहराया या नंगा देखा, और कपड़े पहिनाए?
38 When saw we thee a stranger, and took thee in? or naked, and clothed thee?
39 हम ने कब तुझे बीमार या बन्दीगृह में देखा और तुझ से मिलने आए?
39 Or when saw we thee sick, or in prison, and came unto thee?
40 तब राजा उन्हें उत्तर देगा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।
40 And the King shall answer and say unto them, Verily I say unto you, Inasmuch as ye have done it unto one of the least of these my brethren, ye have done it unto me.
41 तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, हे स्रापित लोगो, मेरे साम्हने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है।
41 Then shall he say also unto them on the left hand, Depart from me, ye cursed, into everlasting fire, prepared for the devil and his angels:
42 क्योंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को नहीं दिया, मैं प्यासा था, और तुम ने मुझे पानी नहीं पिलाया।
42 For I was an hungred, and ye gave me no meat: I was thirsty, and ye gave me no drink:
43 मैं परदेशी था, और तुम ने मुझे अपने घर में नहीं ठहराया; मैं नंगा था, और तुम ने मुझे कपड़े नहीं पहिनाए; बीमार और बन्दीगृह में था, और तुम ने मेरी सुधि न ली।
43 I was a stranger, and ye took me not in: naked, and ye clothed me not: sick, and in prison, and ye visited me not.
44 तब वे उत्तर देंगे, कि हे प्रभु, हम ने तुझे कब भूखा, या प्यासा, या परदेशी, या नंगा, या बीमार, या बन्दीगृह में देखा, और तेरी सेवा टहल न की?
44 Then shall they also answer him, saying, Lord, when saw we thee an hungred, or athirst, or a stranger, or naked, or sick, or in prison, and did not minister unto thee?
45 तब वह उन्हें उत्तर देगा, मैं तुम से सच कहता हूं कि तुम ने जो इन छोटे से छोटों में से किसी एक के साथ नहीं किया, वह मेरे साथ भी नहीं किया।
45 Then shall he answer them, saying, Verily I say unto you, Inasmuch as ye did it not to one of the least of these, ye did it not to me.
46 और यह अनन्त दण्ड भोगेंगे परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।
46 And these shall go away into everlasting punishment: but the righteous into life eternal.