2 Kings (2 राजा) >> Elisha Dies



1 अहज्याह के पुत्र यहूदा के राजा योआश के तेईसवें वर्ष में येहू का पुत्र यहोआहाज शोमरोन में इस्राएल पर राज्य करने लगा, और सत्रह वर्ष तक राज्य करता रहा।
1 In the three and twentieth year of Joash the son of Ahaziah king of Judah Jehoahaz the son of Jehu began to reign over Israel in Samaria, and reigned seventeen years.
2 और उसने वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था अर्थात नबात के पुत्र यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उन को छोड़ न दिया।
2 And he did that which was evil in the sight of the LORD, and followed the sins of Jeroboam the son of Nebat, which made Israel to sin; he departed not therefrom.
3 इसलिये यहोवा का क्रोध इस्राएलियों के विरुद्ध भड़क उठा, और उसने उन को अराम के राजा हजाएल, और उसके पुत्र बेन्हदद के आधीन कर दिया।
3 And the anger of the LORD was kindled against Israel, and he delivered them into the hand of Hazael king of Syria, and into the hand of Benhadad the son of Hazael, all their days.
4 तब यहोआहाज यहोवा के साम्हने गिड़गिड़ाया और यहोवा ने उसकी सुन ली; क्योंकि उसने इस्राएल पर अन्धेर देखा कि अराम का राजा उन पर कैसा अन्धेर करता था।
4 And Jehoahaz besought the LORD, and the LORD hearkened unto him: for he saw the oppression of Israel, because the king of Syria oppressed them.
5 इसलिये यहोवा ने इस्राएल को एक छुड़ाने वाला दिया और वे अराम के वश से छूट गए; और इस्राएली अगले दिनों की नाईं फिर अपने अपने डेरे में रहने लगे।
5 (And the LORD gave Israel a saviour, so that they went out from under the hand of the Syrians: and the children of Israel dwelt in their tents, as beforetime.
6 तौभी वे ऐसे पापों से न फिरे, जैसे यारोबाम के घराने ने किया, और जिनके अनुसार उसने इस्राएल से पाप कराए थे: परन्तु उन में चलते रहे, और शोमरोन में अशेरा भी खड़ी रही।
6 Nevertheless they departed not from the sins of the house of Jeroboam, who made Israel sin, but walked therein: and there remained the grove also in Samaria.)
7 अराम के राजा ने तो यहोआहाज की सेना में से केवल पचास सवार, दस रथ, और दस हजार प्यादे छोड़ दिए थे; क्योंकि उसने उन को नाश किया, और रौंद रौंद कर के धूलि में मिला दिया था।
7 Neither did he leave of the people to Jehoahaz but fifty horsemen, and ten chariots, and ten thousand footmen; for the king of Syria had destroyed them, and had made them like the dust by threshing.
8 यहोआहाज के और सब काम जो उसने किए, और उसकी वीरता, यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?
8 Now the rest of the acts of Jehoahaz, and all that he did, and his might, are they not written in the book of the chronicles of the kings of Israel?
9 निदान यहोआहाज अपने पुरखाओं के संग सो गया और शोमरोन में उसे मिद्दी दी गई; और उसका पुत्र योआश उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
9 And Jehoahaz slept with his fathers; and they buried him in Samaria: and Joash his son reigned in his stead.
10 यहूदा के राजा योआश के राज्य के सैंतीसवें वर्ष में यहोआहाज का पुत्र यहोआश शोमरोन में इस्राएल पर राज्य करने लगा, और सोलह वर्ष तक राज्य करता रहा।
10 In the thirty and seventh year of Joash king of Judah began Jehoash the son of Jehoahaz to reign over Israel in Samaria, and reigned sixteen years.
11 और उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, अर्थात नबात का पुत्र यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार वह करता रहा, और उन से अलग न हुआ।
11 And he did that which was evil in the sight of the LORD; he departed not from all the sins of Jeroboam the son of Nebat, who made Israel sin: but he walked therein.
12 योआश के और सब काम जो उसने किए, और जिस वीरता से वह यहूदा के राजा अमस्याह से लड़ा, यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?
12 And the rest of the acts of Joash, and all that he did, and his might wherewith he fought against Amaziah king of Judah, are they not written in the book of the chronicles of the kings of Israel?
13 निदान योआश अपने पुरखाओं के संग सो गया और यारोबाम उसकी गद्दी पर विराजमान हुआ; और योआश को शोमरोन में इस्रा एल के राजाओं के बीच मिट्टी दी गई।
13 And Joash slept with his fathers; and Jeroboam sat upon his throne: and Joash was buried in Samaria with the kings of Israel.
14 और एलीशा को वह रोग लग गया जिस से वह मरने पर था, तब इस्राएल का राजा योआश उसके पास गया, और उस के ऊपर रोकर कहने लगा, हाय मेरे पिता! हाय मेरे पिता! हाय इस्राएल के रथ और सवारो! एलीश ने उस से कहा, धनुष और तीर ले आ।
14 Now Elisha was fallen sick of his sickness whereof he died. And Joash the king of Israel came down unto him, and wept over his face, and said, O my father, my father, the chariot of Israel, and the horsemen thereof.
15 वह उसके पास धनुष और तीर ले आया।
15 And Elisha said unto him, Take bow and arrows. And he took unto him bow and arrows.
16 तब उसने इस्राएल के राजा से कहा, धनुष पर अपना हाथ लगा। जब उसने अपना हाथ लगाया, तब एलीशा ने अपने हाथ राजा के हाथों पर धर दिए।
16 And he said to the king of Israel, Put thine hand upon the bow. And he put his hand upon it: and Elisha put his hands upon the king's hands.
17 तब उसने कहा, पूर्व की खिड़की खोल। जब उसने उसे खोल दिया, तब एलीशा ने कहा, तीर छोड़ दे; उसने तीर छोड़ा। और एलीशा ने कहा, यह तीर यहोवा की ओर से छुटकारे अर्थात अराम से छुटकारे का चिन्ह है, इसलिये तू अपेक में अराम को यहां तक मार लेगा कि उनका अन्त कर डालेगा।
17 And he said, Open the window eastward. And he opened it. Then Elisha said, Shoot. And he shot. And he said, The arrow of the LORD's deliverance, and the arrow of deliverance from Syria: for thou shalt smite the Syrians in Aphek, till thou have consumed them.
18 फिर उसने कहा, तीरों को ले; और जब उसने उन्हें लिया, तब उसने इस्राएल के राजा से कहा, भूमि पर मार; तब वह तीन बार मार कर ठहर गया।
18 And he said, Take the arrows. And he took them. And he said unto the king of Israel, Smite upon the ground. And he smote thrice, and stayed.
19 और परमेश्वर के जन ने उस पर क्रोधित हो कर कहा, तुझे तो पांच छ: बार मारना चाहिये था। ऐसा करने से तो तू अराम को यहां तक मारता कि उनका अन्त कर डालता, परन्तु अब तू उन्हें तीन ही बार मारेगा।
19 And the man of God was wroth with him, and said, Thou shouldest have smitten five or six times; then hadst thou smitten Syria till thou hadst consumed it: whereas now thou shalt smite Syria but thrice.
20 तब एलीशा मर गया, और उसे मिट्टी दी गई। एक वर्ष के बाद मोआब के दल देश में आए।
20 And Elisha died, and they buried him. And the bands of the Moabites invaded the land at the coming in of the year.
21 लोग किसी मनुष्य को मिट्ठी दे रहे थे, कि एक दल उन्हें देख पड़ा तब उन्होंने उस लोथ को एलीशा की कबर में डाल दिया, और एलीशा की हड्डियों के छूते ही वह जी उठा, और अपने पावों के बल खड़ा हो गया।
21 And it came to pass, as they were burying a man, that, behold, they spied a band of men; and they cast the man into the sepulchre of Elisha: and when the man was let down, and touched the bones of Elisha, he revived, and stood up on his feet.
22 यहोआहाज के जीवन भर अराम का राजा हजाएल इस्राएल पर अन्धेर ही करता रहा।
22 But Hazael king of Syria oppressed Israel all the days of Jehoahaz.
23 परन्तु यहोवा ने उन पर अनुग्रह किया, और उन पर दया कर के अपनी उस वाचा के कारण जो उसने इब्राहीम, इसहाक और याकूब से बान्धी थी, उन पर कृपा दृष्टि की, और न तो उन्हें नाश किया, और न अपने साम्हने से निकाल दिया।
23 And the LORD was gracious unto them, and had compassion on them, and had respect unto them, because of his covenant with Abraham, Isaac, and Jacob, and would not destroy them, neither cast he them from his presence as yet.
24 तब अराम का राजा हजाएल मर गया, और उसका पुत्र बेन्हदद उसके स्थान पर राजा बन गया।
24 So Hazael king of Syria died; and Benhadad his son reigned in his stead.
25 और यहोआहाज के पुत्र यहोआश ने हजाएल के पुत्र बेन्हदद के हाथ से वे नगर फिर ले लिए, जिन्हें उसने युद्ध कर के उसके पिता यहोआहाज के हाथ से छीन लिया था। योआश ने उसको तीन बार जीत कर इस्राएल के नगर फिर ले लिए।
25 And Jehoash the son of Jehoahaz took again out of the hand of Benhadad the son of Hazael the cities, which he had taken out of the hand of Jehoahaz his father by war. Three times did Joash beat him, and recovered the cities of Israel.