Numbers (गिनती) >> At Kadesh-the Spies
1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
1 And the LORD spake unto Moses, saying,
2 कनान देश जिसे मैं इस्त्राएलियों को देता हूं उसका भेद लेने के लिये पुरूषों को भेज; वे उनके पितरों के प्रति गोत्र का एक प्रधान पुरूष हों।
2 Send thou men, that they may search the land of Canaan, which I give unto the children of Israel: of every tribe of their fathers shall ye send a man, every one a ruler among them.
3 यहोवा से यह आज्ञा पाकर मूसा ने ऐसे पुरूषों को पारान जंगल से भेज दिया, जो सब के सब इस्त्राएलियों के प्रधान थे।
3 And Moses by the commandment of the LORD sent them from the wilderness of Paran: all those men were heads of the children of Israel.
4 उनके नाम ये हैं, अर्थात रूबेन के गोत्र में से जककूर का पुत्र शम्मू;
4 And these were their names: of the tribe of Reuben, Shammua the son of Zaccur.
5 शिमोन के गोत्र में से होरी का पुत्र शापात;
5 Of the tribe of Simeon, Shaphat the son of Hori.
6 यहूदा के गोत्र में से यपुन्ने का पुत्र कालेब;
6 Of the tribe of Judah, Caleb the son of Jephunneh.
7 इस्साकार के गोत्र में से योसेप का पुत्र यिगाल;
7 Of the tribe of Issachar, Igal the son of Joseph.
8 एप्रैम के गोत्र में से नून का पुत्र होशे;
8 Of the tribe of Ephraim, Oshea the son of Nun.
9 बिन्यामीन के गोत्र में से रापू का पुत्र पलती;
9 Of the tribe of Benjamin, Palti the son of Raphu.
10 जबूलून के गोत्र में से सोदी का पुत्र गद्दीएल;
10 Of the tribe of Zebulun, Gaddiel the son of Sodi.
11 यूसुफ वंशियों में, मनश्शे के गोत्र में से सूसी का पुत्र गद्दी;
11 Of the tribe of Joseph, namely, of the tribe of Manasseh, Gaddi the son of Susi.
12 दान के गोत्र में से गमल्ली का पुत्र अम्मीएल;
12 Of the tribe of Dan, Ammiel the son of Gemalli.
13 आशेर के गोत्र में से मीकाएल का पुत्र सतूर;
13 Of the tribe of Asher, Sethur the son of Michael.
14 नप्ताली के गोत्र में से वोप्सी का पुत्र नहूबी;
14 Of the tribe of Naphtali, Nahbi the son of Vophsi.
15 गाद के गोत्र में से माकी का पुत्र गूएल।
15 Of the tribe of Gad, Geuel the son of Machi.
16 जिन पुरूषों को मूसा ने देश का भेद लेने के लिये भेजा था उनके नाम ये ही हैं। और नून के पुत्र होशे का नाम उसने यहोशू रखा।
16 These are the names of the men which Moses sent to spy out the land. And Moses called Oshea the son of Nun Jehoshua.
17 उन को कनान देश के भेद लेने को भेजते समय मूसा ने कहा, इधर से, अर्थात दक्षिण देश हो कर जाओ,
17 And Moses sent them to spy out the land of Canaan, and said unto them, Get you up this way southward, and go up into the mountain:
18 और पहाड़ी देश में जा कर उस देश को देख लो कि कैसा है, और उस में बसे हुए लोगों को भी देखो कि वे बलवान् हैं वा निर्बल, थोड़े हैं वा बहुत,
18 And see the land, what it is; and the people that dwelleth therein, whether they be strong or weak, few or many;
19 और जिस देश में वे बसे हुए हैं सो कैसा है, अच्छा वा बुरा, और वे कैसी कैसी बस्तियों में बसे हुए हैं, और तम्बुओं में रहते हैं वा गढ़ वा किलों में रहते हैं,
19 And what the land is that they dwell in, whether it be good or bad; and what cities they be that they dwell in, whether in tents, or in strong holds;
20 और वह देश कैसा है, उपजाऊ है वा बंजर है, और उस में वृक्ष हैं वा नहीं। और तुम हियाव बान्धे चलो, और उस देश की उपज में से कुछ लेते भी आना। वह समय पहली पक्की दाखों का था।
20 And what the land is, whether it be fat or lean, whether there be wood therein, or not. And be ye of good courage, and bring of the fruit of the land. Now the time was the time of the firstripe grapes.
21 सो वे चल दिए, और सीन नाम जंगल से ले रहोब तक, जो हमात के मार्ग में है, सारे देश को देखभालकर उसका भेद लिया।
21 So they went up, and searched the land from the wilderness of Zin unto Rehob, as men come to Hamath.
22 सो वे दक्षिण देश हो कर चले, और हेब्रोन तक गए; वहां अहीमन, शेशै, और तल्मै नाम अनाकवंशी रहते थे। हेब्रोन तो मिस्र के सोअन से सात वर्ष पहिले बसाया गया था।
22 And they ascended by the south, and came unto Hebron; where Ahiman, Sheshai, and Talmai, the children of Anak, were. (Now Hebron was built seven years before Zoan in Egypt.)
23 तब वे एशकोल नाम नाले तक गए, और वहां से एक डाली दाखों के गुच्छे समेत तोड़ ली, और दो मनुष्य उस एक लाठी पर लटकाए हुए उठा ले चले गए; और वे अनारोंऔर अंजीरों में से भी कुछ कुछ ले आए।
23 And they came unto the brook of Eshcol, and cut down from thence a branch with one cluster of grapes, and they bare it between two upon a staff; and they brought of the pomegranates, and of the figs.
24 इस्त्राएली वहां से जो दाखों का गुच्छा तोड़ ले आए थे, इस कारण उस स्थान का नाम एशकोल नाला रखा गया।
24 The place was called the brook Eshcol, because of the cluster of grapes which the children of Israel cut down from thence.
25 चालीस दिन के बाद वे उस देश का भेद ले कर लौट आए।
25 And they returned from searching of the land after forty days.
26 और पारान जंगल के कादेश नाम स्थान में मूसा और हारून और इस्त्राएलियों की सारी मण्डली के पास पहुंचे; और उन को और सारी मण्डली को संदेशा दिया, और उस देश के फल उन को दिखाए।
26 And they went and came to Moses, and to Aaron, and to all the congregation of the children of Israel, unto the wilderness of Paran, to Kadesh; and brought back word unto them, and unto all the congregation, and shewed them the fruit of the land.
27 उन्होंने मूसा से यह कहकर वर्णन किया, कि जिस देश में तू ने हम को भेजा था उस में हम गए; उस में सचमुच दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और उसकी उपज में से यही है।
27 And they told him, and said, We came unto the land whither thou sentest us, and surely it floweth with milk and honey; and this is the fruit of it.
28 परन्तु उस देश के निवासी बलवान् हैं, और उसके नगर गढ़ वाले हैं और बहुत बड़े हैं; और फिर हम ने वहां अनाकवंशियों को भी देखा।
28 Nevertheless the people be strong that dwell in the land, and the cities are walled, and very great: and moreover we saw the children of Anak there.
29 दक्षिण देश में तो अमालेकी बसे हुए हैं; और पहाड़ी देश में हित्ती, यबूसी, और एमोरी रहते हैं; और समुद्र के किनारे किनारे और यरदन नदी के तट पर कनानी बसे हुए हैं।
29 The Amalekites dwell in the land of the south: and the Hittites, and the Jebusites, and the Amorites, dwell in the mountains: and the Canaanites dwell by the sea, and by the coast of Jordan.
30 पर कालेब ने मूसा के साम्हने प्रजा के लोगों को चुप कराने की मनसा से कहा, हम अभी चढ़ के उस देश को अपना कर लें; क्योंकि नि:सन्देह हम में ऐसा करने की शक्ति है।
30 And Caleb stilled the people before Moses, and said, Let us go up at once, and possess it; for we are well able to overcome it.
31 पर जो पुरूष उसके संग गए थे उन्होंने कहा, उन लोगों पर चढ़ने की शक्ति हम में नहीं है; क्योंकि वे हम से बलवान् हैं।
31 But the men that went up with him said, We be not able to go up against the people; for they are stronger than we.
32 और उन्होंने इस्त्राएलियों के साम्हने उस देश की जिसका भेद उन्होंने लिया था यह कहकर निन्दा भी की, कि वह देश जिसका भेद लेने को हम गये थे ऐसा है, जो अपने निवासियों निगल जाता है; और जितने पुरूष हम ने उस में देखे वे सब के सब बड़े डील डौल के हैं।
32 And they brought up an evil report of the land which they had searched unto the children of Israel, saying, The land, through which we have gone to search it, is a land that eateth up the inhabitants thereof; and all the people that we saw in it are men of a great stature.
33 फिर हम ने वहां नपीलों को, अर्थात नपीली जाति वाले अनाकवंशियों को देखा; और हम अपनी दृष्टि में तो उनके साम्हने टिड्डे के सामान दिखाई पड़ते थे, और ऐसे ही उनकी दृष्टि में मालूम पड़ते थे॥
33 And there we saw the giants, the sons of Anak, which come of the giants: and we were in our own sight as grasshoppers, and so we were in their sight.