Psalms (भजन संहिता) >> Praise for Creation, Providence, Grace



1 हे धर्मियों यहोवा के कारण जयजयकार करो क्योंकि धर्मी लोगों को स्तुति करनी सोहती है।
1 Rejoice in the LORD, O ye righteous: for praise is comely for the upright.
2 वीणा बजा बजाकर यहोवा का धन्यवाद करो, दस तार वाली सारंगी बजा बजाकर उसका भजन गाओ।
2 Praise the LORD with harp: sing unto him with the psaltery and an instrument of ten strings.
3 उसके लिये नया गीत गाओ, जयजयकार के साथ भली भांति बजाओ॥
3 Sing unto him a new song; play skilfully with a loud noise.
4 क्योंकि यहोवा का वचन सीधा है; और उसका सब काम सच्चाई से होता है।
4 For the word of the LORD is right; and all his works are done in truth.
5 वह धर्म और न्याय से प्रीति रखता है; यहोवा की करूणा से पृथ्वी भरपूर है॥
5 He loveth righteousness and judgment: the earth is full of the goodness of the LORD.
6 आकाशमण्डल यहोवा के वचन से, और उसके सारे गण उसके मुंह ही श्वास से बने।
6 By the word of the LORD were the heavens made; and all the host of them by the breath of his mouth.
7 वह समुद्र का जल ढेर की नाईं इकट्ठा करता; वह गहिरे सागर को अपने भण्डार में रखता है॥
7 He gathereth the waters of the sea together as an heap: he layeth up the depth in storehouses.
8 सारी पृथ्वी के लोग यहोवा से डरें, जगत के सब निवासी उसका भय मानें!
8 Let all the earth fear the LORD: let all the inhabitants of the world stand in awe of him.
9 क्योंकि जब उसने कहा, तब हो गया; जब उसने आज्ञा दी, तब वास्तव में वैसा ही हो गया॥
9 For he spake, and it was done; he commanded, and it stood fast.
10 यहोवा अन्य अन्य जातियों की युक्ति को व्यर्थ कर देता है; वह देश देश के लोगों की कल्पनाओं को निष्फल करता है।
10 The LORD bringeth the counsel of the heathen to nought: he maketh the devices of the people of none effect.
11 यहोवा की युक्ति सर्वदा स्थिर रहेगी, उसके मन की कल्पनाएं पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहेंगी।
11 The counsel of the LORD standeth for ever, the thoughts of his heart to all generations.
12 क्या ही धन्य है वह जाति जिसका परमेश्वर यहोवा है, और वह समाज जिसे उसने अपना निज भाग होने के लिये चुन लिया हो!
12 Blessed is the nation whose God is the LORD; and the people whom he hath chosen for his own inheritance.
13 यहोवा स्वर्ग से दृष्टि करता है, वह सब मनुष्यों को निहारता है;
13 The LORD looketh from heaven; he beholdeth all the sons of men.
14 अपने निवास के स्थान से वह पृथ्वी के सब रहने वालों को देखता है,
14 From the place of his habitation he looketh upon all the inhabitants of the earth.
15 वही जो उन सभों के हृदयों को गढ़ता, और उनके सब कामों का विचार करता है।
15 He fashioneth their hearts alike; he considereth all their works.
16 कोई ऐसा राजा नहीं, जो सेना की बहुतायत के कारण बच सके; वीर अपनी बड़ी शक्ति के कारण छूट नहीं जाता।
16 There is no king saved by the multitude of an host: a mighty man is not delivered by much strength.
17 बच निकलने के लिये घोड़ा व्यर्थ है, वह अपने बड़े बल के द्वारा किसी को नहीं बचा सकता है॥
17 An horse is a vain thing for safety: neither shall he deliver any by his great strength.
18 देखो, यहोवा की दृष्टि उसके डरवैयों पर और उन पर जो उसकी करूणा की आशा रखते हैं बनी रहती है,
18 Behold, the eye of the LORD is upon them that fear him, upon them that hope in his mercy;
19 कि वह उनके प्राण को मृत्यु से बचाए, और अकाल के समय उन को जीवित रखे॥
19 To deliver their soul from death, and to keep them alive in famine.
20 हम यहोवा का आसरा देखते आए हैं; वह हमारा सहायक और हमारी ढाल ठहरा है।
20 Our soul waiteth for the LORD: he is our help and our shield.
21 हमारा हृदय उसके कारण आनन्दित होगा, क्योंकि हम ने उसके पवित्र नाम का भरोसा रखा है।
21 For our heart shall rejoice in him, because we have trusted in his holy name.
22 हे यहोवा जैसी तुझ पर हमारी आशा है, वैसी ही तेरी करूणा भी हम पर हो॥
22 Let thy mercy, O LORD, be upon us, according as we hope in thee.